( यहाँ NCERT की कक्षा 6 की इतिहास की पाठ्य पुस्तक ‘हमारे अतीत-1’ में संकलित ‘अशोक एक अनोखा सम्राट जिसने युद्धों का त्याग कर दिया’ अध्याय के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को संकलित किया गया है | )
◾ मौर्य वंश की स्थापना ( Maurya Vansh Ki Sthapana ) लगभग 2300 साल पहले चंद्रगुप्त मौर्य ने की ।
▪इस कार्य में एक बुद्धिमान व्यक्ति कौटिल्य ( चाणक्य / विष्णु गुप्त ) ने उसकी सहायता की । बाद में कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री बना ।
▪कौटिल्य ने ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की जो मौर्य वंश ( Mauryan Dynasty ) के इतिहास की जानकारी का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्रोत है ।
▪कौटिल्य अर्थशास्त्र में लिखता है कि उत्तर-पश्चिम कम्बल के लिये तथा दक्षिण भारत सोने व क़ीमती पत्थरों के लिये प्रसिद्ध था |
▪मौर्य वंश के तीन प्रमुख शासक हुए – चंद्रगुप्त मौर्य , चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिंदुसार व बिंदुसार का पुत्र अशोक ।
▪मौर्य वंश ( Mauryan Dynasty ) में मगध साम्राज्य अपने चरम पर पहुँचा । इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी । पाटलिपुत्र , उज्जैन तथा तक्षशिला मगध साम्राज्य के प्रमुख नगर थे ।
▪ अशोक के अभिलेख ( Ashok Ke Abhilekh ) भारत , पाकिस्तान , अफगानिस्तान व नेपाल में मिले हैं । ये अभिलेख ब्राह्मी , खरोष्ठी तथा अरमाइक लिपि में हैं ।
▪तक्षशिला ( उत्तर-पश्चिमी प्रांत ) तथा उज्जैन ( पूर्वी प्रांत ) प्रांतीय राजधानियाँ थी । प्रायः राजकुमारों को प्रांतों का राज्यपाल बनाया जाता था ।
🔷 मैगस्थनीज़ यूनान के राजा सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था को 302 ई० पू० से 298 ई० पू० तक चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा । मैगस्थनीज़ ने ‘इंडिका‘ नामक पुस्तक की रचना की । मैगस्थनीज़ ने अपनी पुस्तक में सम्राट की शोभा-यात्रा तथा उसकी सुरक्षा के बारे में लिखा है । उसने इसमें पाटलिपुत्र नगर तथा पाटलिपुत्र के महल की शोभा का वर्णन भी किया है ।
मौर्य वंशावली ( Maurya Vanshavali )
- चंद्रगुप्त मौर्य ( 322 BC- 298 BC )
- बिंदुसार ( 298 BC- 273 BC )
- अशोक ( 269 BC-232 BC )
- अशोक के उत्तराधिकारी – जालौक ,सम्प्रति ,दशरथ ,बृहस्पति व बृहद्रथ |
◾अशोक मौर्य वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा था । वह 272 ई० पू० में राजसिंहासन पर बैठा परंतु कुछ कारणों से 269 ई० पू० में उसका राज्याभिषेक हुआ ।
▪261 ई० पू० में उसने कलिंग पर आक्रमण किया । इस युद्ध में हुए भयंकर जनसंहार ने अशोक का हृदय-परिवर्तन कर दिया और उसने युद्धों का परित्याग कर दिया ।
◾️कलिंग की लड़ाई ( Kaling Ki Ladai ) के पश्चात अशोक बौद्ध धर्म व महात्मा बुद्ध ( Mahatma Buddha ) का अनुयायी बन गया । उसने सदाचार के नियमों का संकलन किया व उनका प्रचार-प्रसार किया । उसके द्वारा संकलित सदाचार के नियमों को ‘अशोक का धम्म’ कहा जाता है ।
▪धम्म संस्कृत शब्द ‘धर्म’ का प्राकृत रूप है ।
▪धम्म का प्रचार ( Dhamm Ka Prachar ) करने के लिये अशोक ने ‘धम्म महामात्र’ नामक अधिकारी की नियुक्ति की । अशोक ने धम्म का प्रचार करने के लिये सीरिया , मिस्र , यूनान व श्री लंका में दूत भेजे ।
🔷 बिहार के रामपुरवा में एक मौर्यकालीन स्तम्भ मिला है जिसके शीर्ष पर साँड़ की मूर्ति है । इस स्तम्भ के शीर्ष भाग की मूर्ति को राष्ट्रपति भवन में रखा गया है |
◾अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी ब खरोष्ठी में लिखित हैं । कालांतर में भारत की अनेक लिपियाँ ब्राह्मी से विकसित हुई जैसे – देवनागरी लिपि , बांग्ला , मलयालम व तमिल भाषा को लिपि देवनागरी से मिलती-जुलती है ।
▪सबसे पहले जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि को पढ़ने में सफलता प्राप्त की ।
◼️ मौर्य साम्राज्य के उभरने से थोड़ा पहले लगभग 2400 साल पहले चीन की दीवार ( China Ki Deewar ) का निर्माण शुरू हुआ । इसका उद्देश्य उत्तरी सीमा की पशु-पालकों से रक्षा करना था । इसका निर्माण कार्य 2000 वर्षों तक चलता रहा । इसकी लम्बाई 6400 किलोमीटर है |
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